पत्तों की सरसराहट,
कुछ कर रही इशारा
झोंका हवा का लाया,
ख्याल फिर तुम्हारा
सजदे में जब भी बैठूं,
बस अक्स तेरा देखूं
काफिर मैं हो गया हूं,
या दीद का हूं मारा
कासिद को क्या मैं भेजूं,
पैगाम क्या बनाऊं
लफ्जों से है परे,
मेरे प्यार का शरारा
आतिश की है ये खूबी,
हर ज़र्रा राख कर दे
इश्क की इस आग को यूं ,
छेड़ो ना दुबारा
ताबीर जो हो मुमकिन,
तो ख़ाब फिर सजाऊं
तुम ही पूछो रब से,
मुझे दे रखा है लारा
शिकवों की फेहरिस्त चलो,
पानी में बहा दें
धुल जाए स्याही हो जाए,
रिश्ता नया हमारा